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Wednesday 3 August 2011

तुझ में खो जाऊं बस तेरा हो जाऊं


जैसे दरिया समन्दर की आगोश में खो जाए
चैन से सूरज शाम के पहलू में सो जाए
मेरी हसरत है मैं यूं तुझ में खो जाऊं
'तुझ से प्यार है' कह दूं, तेरा हो जाऊं

चुप-सी हस्ती को मेरी जाने क्या हुआ-सा है
तुझ को देखे से बह उठा है झरने की तरह
साज़ बन गए हैं दिल जिगर और ज़ेहन
जिन पे तेरा प्यार बजता है नगमे की तरह
मेरे मौला ने बनाया है तुझे मेरे लिए
तू मिले मैं अधूरे से पूरा हो जाऊं

ओस की बूंदों-सी तेरी शफ्फाफ हँसी
मेरे कानों में खनका करे जैसे घुंघरू
संदली-सी तेरी महक रहे दिल पर तारी
तेरी नज़रों में मैं रहूँ जैसे जुगनू
मेरे तन्हा-से अंधेरों में तू चाँद बने
अपनी ख़ामोशी में मैं तुझे ओढ़कर सो जाऊं

तेरी आगोश में सिमटा हूँ तो दिन न चढ़े
तेरी बातों के जब तार छिड़ें रात न हो
लम्हा ऐसा भी कोई आये कभी खुदा ना करे
मेरे वुजूद पे जब वस्ल की बरसात ना हो
ग़र मुक़द्दर में जुदाई हो तो उस से बेहतर
बाकी सांसों को तेरी उम्र में पिरो जाऊं

'तुझ से प्यार है' कह दूं, तेरा हो जाऊं
तुझ में खो जाऊं बस तेरा हो जाऊं

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