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Thursday 31 January 2013

हमारे बच्चे बहुत समझदार हैं दोस्त

हमारे बच्चे पतंग नहीं उड़ाते दोस्त

 लंबी लकडियाँ लेके माँझा लूटते है

फालतू बातों में वक्त नहीं गँवाते

हमारे बच्चे स्कूल नहीं जाते

चाय की दूकान पे बर्तन घिसते हैं

ईंट के भट्ठों पे मजूरी करते हैं

हमारे बच्चे मर मर के पैसे कमाते हैं

हमारे बच्चे समझदार बहुत हैं


हमारे बच्चे

बस देखते है ललचाई नजरों से नूडल्स बर्गर की तरफ

भूले से भी कभी मांगते नहीं हैं

हमारे बच्चे उम्र से पहले ही बड़े हो जाते हैं

खिलौनों की कीमत दूर से ही परख लेते हैं

और बाप की जेब की भी औकात भांप जाते हैं

हमारे बच्चे समझदार बहुत हैं


रजाई फटी है तो घुटनों में सर दे लो

दूध से ज़्यादा मज़ा तो चाय में आता है

रबड़ की चप्पल ही बढ़िया होती है

जूते में तो पाँव घुटा सा रहता है

स्कूल जा के भी क्या होगा जानते हैं

नए कपडे और उतरन में फर्क थोड़ी होता है 

बस शुरू शुरू में ज़रा मार खाते हैं

फ़िर बहुत जल्दी चीज़ों को सीख जाते हैं



हमारे बच्चों को लड़ना हो तो आपस ही में लड़ते हैं

ये थोड़ी कि और को कसूर दे दें

गर ना बस चले और किसी पे कोई

किसी कुत्ते या किसी दीवार पे पत्थर मारो

अपने ही नाखून चबा लो और चुप कर रहो

गाली दो भाग जाओ और छुप कर रहो

लड़ना हमारे बच्चों की आदत ही नहीं

हमारे बच्चे बहुत समझदार है दोस्त

--- सुरमीत मावी

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