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Tuesday 30 August 2011

तेरे बिन

एक ठिठुरता सिमटा सा वो ख्वाब हथेली पे रखके ,
फिर वो खुशबू वापस घुल गयी जाने कब उस बारिश में
नज़र ना उस खिड़की से लौटी ठिठका दिल न फिर धड़का,
मन का कुकनुस सुलग रहा है तब से अब उस बारिश में ...

शहर रुका सा, हवा थकी सी, दिन उलझा सा, रात थमी
मद्दम चाँद और बेहिस तारे रात के पल्लू से उखड़े
गुल पे ना कोई तितली बैठी डाल पे ना कोयल कूकी
सन्नाटा चीखे और गूंगे बाकी सब उस बारिश में..

इक नाकाम सी हसरत ले के कोई कितनी देर जिए
अश्क का मोती मोती गिनते कैसे पूरी उम्र कटे
शेयरों में क्या असर हो मेरे नग्मों में क्या रंग भरूँ
रौनक की रंगोली सारी धुल गयी जब उस बारिश में...

Saturday 27 August 2011

ਯਾਰਾ ਵੇ ਲਿਖਾਰੀਆ !

ਹੀਰਾਂ ਅਤੇ ਰਾਂਝਿਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਹੋਏ,
ਓਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰੀਤਾਂ ਬਾਰੇ ਗੀਤ ਲਿਖੀਂ ਦੋਸਤਾ
ਕਿੰਨੇ ਪੁੱਤ ਜੋਗੇ ਹੋਏ ਪੂਰਨ ਜਹੇ ਮਾਵਾਂ ਦੇ
ਜੋਗੀਆਂ ਦੇ ਗੀਤਾਂ ਬਾਰੇ ਗੀਤ ਲਿਖੀਂ ਦੋਸਤਾ l

ਆਪਣਾ ਬਣਾਕੇ ਜੇਹੜੇ ਝੂਠ ਬੋਲ ਠੱਗ ਗਏ
ਕੇਹੜੀ ਮਜਬੂਰੀ ਵਿਚ ਯਾਰ ਸਾਥ ਛਡ ਗਏ
ਘਰ ਛਡ ਲੋਕੀਂ ਪਰਦੇਸਾਂ ਨੂੰ ਕਿਓਂ ਭਜ ਗਏ
ਕੁਝ ਨਿਘੇ ਕੁਝ ਠੰਡੇ ਸੀਤ ਲਿਖੀਂ ਦੋਸਤਾ l

ਫੁੱਲ ਜੇਹੜੇ ਖਾ ਲਏ ਖੁਦ ਵਾੜ ਨੇ ਹੀ ਓਹਨਾਂ ਬਾਰੇ
ਲੁੱਟ ਲਏ ਜੇਹੜੇ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਹੀ ਓਹਨਾਂ ਬਾਰੇ
ਰੋਟੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਜਿਹਨਾਂ ਲੜੀ ਧੀਆਂ ਪੁੱਤਾਂ ਲਈ
ਕੋਝੀਆਂ ਕੁਰੀਤਾਂ ਬਾਰੇ ਗੀਤ ਲਿਖੀਂ ਦੋਸਤਾ l

ਫੇਰ ਕਦੇ ਵੇਹਲ ਮਿਲੇ, ਜਾਂ ਜੇ ਤੇਰਾ ਮਨ ਕਰੇ
ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਸਾਗਰਾਂ ਚੋਂ ਲੱਪ ਕੁ ਸਿਆਹੀ ਸਰੇ
ਥਕ ਰਹੇ ਆਦਮੀ ਦੇ ਮਰ ਰਹੇ ਮਨ ਬਾਰੇ
ਹੁਣ ਨਾ ਪਛਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਪਹਿਲਾਂ ਵਾਲੇ ਚੰਨ ਬਾਰੇ
ਕਿਵੇਂ ਬੁਝੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਚੋਂ ਪ੍ਰੀਤ ਲਿਖੀਂ ਦੋਸਤਾ l

ਮੇਰੀ ਭਾਵੇਂ ਨਾ ਵੀ ਮੰਨੀਂ ਦਿਲ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰ ਸੁਣੀਂ
ਜਦੋਂ ਵੀ ਲਿਖੇਂ ਤੂੰ ਸਚੇ ਗੀਤ ਲਿਖੀਂ ਦੋਸਤਾ.....

Friday 26 August 2011

थका नहीं रुका हूँ

इक परिंदा जो असमानों में उड़ा करता था,
अपने पंखों से हवाओं को रुख देता था,
अपनी परवाज़ तले सूरज को छाँव करता था
इक परिंदा
जिसकी नज़र में सितारे झुका करते थे
जिसके तसव्वुर में समंदर रुका करते थे
वक़्त का राही
जिसके पीछे दौड़ता हांफ जाता था
वो परिंदा सुना है
इक गुलाबी सी टहनी पे बैठा रहता है
तकता रहता है दीवानों की तरह
सुनता है न कुछ कहता है
शब-ओ-रोज़ खुद ही में पिघलता है बहता है
जाने सितम हुआ है या करामात हुई
सुना है तितलियों सा हुआ ये क्या बात हुई
अब तो वो ज़माने के लिए बीती बात हुई
अब न आस्मां है उसका और ज़मीन नहीं है
ये भी तय के वो मुतमईन नहीं है
अजीब ये है के वो खुश है गमगीन नहीं है
नज़रों से ही कहता है कि बहुत उड़ लिया
तूफ़ान फ़तेह कर लिए हैं फलक को सर किया
क्या खूब मुतअस्सर औरों को है किया
थका नहीं रुका हूँ हसरत-ए-दिल पे
दो पल ज़रा सा जी भी लूं अब तक नहीं जिया

Thursday 18 August 2011

मेरे ख्वाब मुझको छू तो ले


घड़ी दो घड़ी को ठहर के मैं तुझे देख के चला जाऊँगा 
तू ना दाद दे मुझे प्यार कर तुझे हाल-ए-दिल सुनाऊँगा  

मुझे छेड़ मत किसी साज़-सा मुझे ज़ेहन-ओ-दिल में संभाल ले  
मैं तो एक ख़ुशनुमा ख़याल हूँ  जो गुज़र गया तो ना आऊँगा l 

मैं हवा में बिखरी महक- सा हूँ तेरे शहर को इसपे एतराज़ है  
तुझे प्यार है तो मेरे साथ चल मैं यहाँ पे रुक ना पाऊँगा l

तेरी जुस्तजू में मेरा वजूद बुत-ए-संग सा ग़र हो गया 
तू जो भर के नज़र मुझे देख ले उसी पल पिघल भी जाऊँगा 

Wednesday 17 August 2011

ਸਲਾਮ ਜਾਂਦੀ ਵਾਰ ਦਾ

ਮੇਰੀ ਅਖ ਦੇ ਸਮੁੰਦਰ  ਵਿਚੋਂ ਸਾਰਾ ਮੁੱਕ ਗਿਆ ਪਾਣੀ
ਤੇਰੀ ਹੀ ਅਖ ਨਾ ਰੋਈ ਕੇਹੀ ਪਥਰ ਦੀ ਹੈ ਮਰਜਾਣੀ l

ਤਿੜਕਦੀ ਭੁਰਦੀ ਨੂੰ ਮੈ ਹੀ ਬੜਾ ਚਿਰ ਸਾਂਭਦਾ ਆਇਆ
ਤੇਰੀ ਮਰਜ਼ੀ ਹੈ ਇਹੀ ਤਾਂ ਲੈ ਫਿਰ ਟੁੱਟ ਗਈ ਕਹਾਣੀ  l

ਮੇਰੇ ਲਈ ਰਾਤ ਵੀ ਸੁੱਤੀ ਹੈ ਤਾਰੇ ਵੀ ਤੇ ਤੂੰ ਵੀ ਫਿਰ ਭਲਾ
ਹੁੰਗਾਰਾ ਜਿਸ ਦਾ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ ਅਗਾਂਹ ਕੀ ਬਾਤ ਓਹ ਪਾਣੀ l

ਮੈਂ ਤਾਂ 'ਕੱਲਿਆਂ ਵੀ ਦੁਸ਼ਵਾਰੀਆਂ 'ਚੋਂ ਲੰਘ ਹੀ ਜਾਣਾ ਹੈ
ਫ਼ਰਕ ਇਹ ਹੈ ਬਸ ਮੰਜਿਲ ਤੇ ਤੇਰੀ ਯਾਦ ਨਹੀਂ ਆਣੀ l

Friday 12 August 2011

इश्क है क्या है

मेरे हाथों में उसका हाथ अब भी महसूस होता है
नज़र और रूह का वो साथ अब भी महसूस होता है 
उसकी खुश्बू अब तक है मेरी सांसों में बसी 
अब भी कानों में खनकती है वो दिलकश-सी हंसी  
वो दूर रहकर भी लगे है जैसे पास ही है मौला 
इश्क है या जो भी है कुछ ख़ास ही है मौला...... 

Wednesday 3 August 2011

तुझ में खो जाऊं बस तेरा हो जाऊं


जैसे दरिया समन्दर की आगोश में खो जाए
चैन से सूरज शाम के पहलू में सो जाए
मेरी हसरत है मैं यूं तुझ में खो जाऊं
'तुझ से प्यार है' कह दूं, तेरा हो जाऊं

चुप-सी हस्ती को मेरी जाने क्या हुआ-सा है
तुझ को देखे से बह उठा है झरने की तरह
साज़ बन गए हैं दिल जिगर और ज़ेहन
जिन पे तेरा प्यार बजता है नगमे की तरह
मेरे मौला ने बनाया है तुझे मेरे लिए
तू मिले मैं अधूरे से पूरा हो जाऊं

ओस की बूंदों-सी तेरी शफ्फाफ हँसी
मेरे कानों में खनका करे जैसे घुंघरू
संदली-सी तेरी महक रहे दिल पर तारी
तेरी नज़रों में मैं रहूँ जैसे जुगनू
मेरे तन्हा-से अंधेरों में तू चाँद बने
अपनी ख़ामोशी में मैं तुझे ओढ़कर सो जाऊं

तेरी आगोश में सिमटा हूँ तो दिन न चढ़े
तेरी बातों के जब तार छिड़ें रात न हो
लम्हा ऐसा भी कोई आये कभी खुदा ना करे
मेरे वुजूद पे जब वस्ल की बरसात ना हो
ग़र मुक़द्दर में जुदाई हो तो उस से बेहतर
बाकी सांसों को तेरी उम्र में पिरो जाऊं

'तुझ से प्यार है' कह दूं, तेरा हो जाऊं
तुझ में खो जाऊं बस तेरा हो जाऊं